जानें, क्यों किया जाता है जितिया व्रत? नहाय खाय और पारण का समय

सनातन शास्त्रों में सभी पर्व और व्रत का महत्व बताया गया है। ठीक इसी प्रकार जितिया व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को महिलाएं करती हैं और भगवान जीमूतवाहन की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

  • जितिया व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

आश्विन माह में जितिया व्रत किया जाता है।
जितिया व्रत को निर्जला रखा जाता है।
व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है।

हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत किया जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका और जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अधिक उत्साह के साथ 3 दिनों तक मनाया जाता है। शुभ अवसर पर महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। वहीं, इसका समापन व्रत का पारण करने के बाद होता है।

  • इसलिए किया जाता है जितिया व्रत
    जितिया व्रत विवाहित महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण संतान की सदैव रक्षा करते हैं। इसके अलावा संतान से जुड़ी सभी तरह की समस्या दूर होती है।
  • शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में 25 सितंबर को जितिया व्रत किया जाएगा।

  • कब है जितिया व्रत 2024 नहाय खाय

नहाय खाय के साथ जितिया व्रत की शुरुआत होती है। इस व्रत से एक दिन पहले नहाय खाय की परंपरा निभाई जाती है। इस वर्ष 24 सितंबर को नहाय खाय है। इस खास अवसर पर कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। महिलाएं सात्विक भोजन का सेवन करती हैं।

  • कब है जितिया व्रत का पारण
    जितिया व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा। इसके अगले दिन यानी 26 सितंबर को व्रत का पारण सूर्योदय के बाद किया जाएगा।

बाल व्यास पंडित वेदांत जी महाराज | Bal Vyas Pandit Vedant Ji Maharaj

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