कब है कजरी तीज ? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

साल में तीन तीज मनाई जाती है, जो सभी भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। इन तीनों तीज में उपवास रखने का विधान है, जो वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। हर साल तीज का उपवास सावन और भाद्रपद माह में रखा जाता है। इनमें सबसे पहले हरियाली तीज मनाई जाती है, इसके बाद कजरी तीज का व्रत किया जाता है।

इस साल कजरी तीज 22 अगस्त 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, तरक्की और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए शिव-पार्वती की पूजा करती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव-पार्वती की जोड़ी को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। दोनों की जोड़ी जैसा रिश्ता पाने के लिए लोग विधि विधान से पूजा अर्चना भी करते हैं।

इस दौरान महिलाएं वैवाहिक जीवन में खुशियों के लिए इस जोड़े की आराधना करती हैं। ऐसे में कजरी तीज का पर्व आपके लिए बेहद खास होने वाला है। इस दिन महादेव की पूजा करने से मनचाहे वर और जीवन में खुशियों का आशीर्वाद मिलता है। इसी कड़ी में आइए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जान लेते हैं।

कजरी तीज तिथि और शुभ मुहूर्त 2024

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ: 21 अगस्त , सायं 05: 06 मिनट से
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त: 22 अगस्त,दोपहर 01: 46 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 04:26 से प्रातः 05:10 तक रहेगा
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इस दिन सुबह ही स्नान करें और साफ वस्त्रों को धारण कर लें।
फिर पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्रित कर के रख लें।
अब सबसे पहले एक चौकी लगाएं और उसपर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
फिर देवी पार्वती और शिव जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।
वहीं पार्वती जी को सुहाग का सामान चढ़ाएं।
फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करें।
अंत में कथा का पाठ करें ।

रात में ऐसे करें पूजा

कजरी तीज में चंद्रोदय होने पर पूजा करें। इस दौरान हाथ में एक चांदी की अंगूठी और गेहूं के कुछ दाने लेकर चंद्रदेव की पूजा करें। इसके बाद उन्हें अर्घ्य दें। पूजा समाप्त होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की चीजें दान में देकर उनसे आशीर्वाद लें।

कजरी तीज की पूजा सामग्री

कजरी तीज पर पूजा करने के लिए पीला वस्त्र, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत जरूर शामिल करें। इसके बाद कच्चा सूता, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, भांग, धतूरा, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी और कपूर रख लें। इस दौरान माता पार्वती को हरे रंग की साड़ी, चुनरी, बिंदी, चूडियां, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, सिंदूर और मेहंदी अर्पित करें।

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