आप छह वर्ष की छोटी आयु से ही श्रीरामचरितमानस का अध्ययन कर रहे हैं। आप ऐसे बाल व्यास हैं, जिन पर सात वर्ष की आयु में ही श्रीहनुमानजी की विशेष कृपा हुई और इस अल्प आयु (सात वर्ष) में ही आपको पूरा सुंदरकाण्ड कंठस्थ हो गया।